सोमवार, 14 मार्च 2011

बहुत हो गया अब.....

                   अरे भई अब तो सरकार को कोसना बंद करो, और ये बात तो आपको माननी ही पड़ेगी कि हम 'इंडियंस' काम कम और शिकायतें ज्यादा करते हैं. लीजिए एक ही झटके में कई समस्याओं का निपटारा कर दिया है हमारी सरकार ने. घरेलू हिंसा, परीक्षा का तनाव, ख़ुशी से झूमने के लिए, गम को कम करने के लिए और महंगाई से राहत देने का क्या गज़ब तरीका निकाला है हमारी सरकार ने. मान गए भई, ऐसे ही थोड़े ना दुनिया 'इन्डियन ब्रेन' का लोहा मानती है .खैर ,चलिए हम ही आपको बता देते हैं - अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष में प्रदेश भर में 1000 नए मयखाने खोलने का प्रस्ताव है और तो और इसकी खपत बढ़ाने के लिए १०० मिलीलीटर के छोटे और सस्ते  पाउच भी बाज़ार में उतारने का फैसला किया गया है .सिर्फ अपने लखनऊ शहर में ही २९ नए मयखाने खोले जायेंगे .सोंचिए अब सीन क्या होगा ?अब जब कम पैसे में शराब मिलेगी तो जाम भी छलकेगा और घर भी चलेगा. जिससे पत्नी पति की शराब पीने कि आदत से परेशान नहीं होगी, तो झगड़ा नहीं होगा और जब झगड़ा नहीं होगा तो स्वाभाविक सी बात है घरेलू हिंसा भी नहीं होगी. इसके अलावा परीक्षा का तनाव कम करने के लिए हो सकता है ,माँ अपने लाडले को बोले -बेटा एक घूँट ले ही लो क्योंकि दूध एक तो महँगा है, दूसरे शुद्ध मिलना मुश्किल है तो इसे पीने से कम से कम तनाव तो कम हो ही जाएगा. बाकी आप तो समझदार हैं ही , 'खुशी हो या हो ग़म हो कहीं शमा बांधती है शराब'.अब रही बात महंगाई कि तो, अरे भइया, जहां एक चीज़ सस्ते में मिले और इतनी सारी समस्याओं से छुटकारा मिल जाए तो दूसरी चीज़ों पर थोड़ा पैसा खर्च भी हो जाए तो क्या ? खाद्यपदार्थ थोड़े महँगे तो हैं  ही पर क्या फर्क पड़ता है ? और वैसे भी हम लोग एडजस्ट तो कर ही रहे है ,महंगाई कि भी आदत पड़ ही जायेगी. वैसे भी ये तो एक राजनीतिक मुद्दा है .तो भई अब बहुत हो गया, अब तो सरकार को कोसना बंद कर कर दें .कितना ख्याल रखती है हमारा. 























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